मेरे पिछले ब्लॉग में,(पिछला ब्लॉग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करे ) अगर आपको याद हो तो, मैंने आपको बताया था कि मैं अपने होटल की बालकनी से सूर्योदय देखने के लिए कितना उत्सुक था, इसीलिए मैं सुबह के ५ बजे से हाथ में चाय का कप लिए, कुर्सी पर बैठकर सूर्य देव जी का इंतजार करने लगा। आसमान की लालिमा धीरे धीरे उजागर होने लगी, और जो सुबह का शानदार दृश्य मेरी आंखो के सामने परत दर परत खिल रहा था , वह शब्दों से परे था।

सुबह का शानदार दृश्य

सूर्योदय देखते हुए मुझे एक एहसास हुआ, जिसके चलते मैने अपनी पत्नी और अपनी बेटी से कहा कि जब तक हम सिक्किम में है , तब तक हम अपना दिन जल्दी शुरू करने के लिए तैयार रहें क्योंकि सिक्किम में सुबह ५ बजे तक सूरज , इस तरीके से चमक ने लगता है जैसे मानो सुबह के १० बजे हो और शाम को 5 बजे ऐसा गायब हो जाता है की लगता है मानो रात के १० बज गए हो , इतना घना अंधेरा हो जाता है।

सुबह का शानदार दृश्य

अद्भुत सूर्योदय का आनंद लेने के बाद, हम तैयार हो गए और होटल की रेस्टुरेंट में नाश्ते में दो दो आलू के गरमा गरम परांठे, दही और आचार के साथ ठूस लिए।

गरमा गरम परांठे, दही और आचार के साथ ठूस लिए

 

इस बीच मुझे अपने ड्राइवर का फोन भी आ गया, उसने बताया, कि वह 9 बजे तक हमारे होटल पहुंच जाएगा। ड्राइवर के आने के बाद हमें पता चला की हम आज लाचुंग जाने वाले है। दरअसल पहले यह तय किया गया था कि आज हम गंगटोक से लाचेन की यात्रा करेंगे और अगले दिन हम गुरुदोनमार झील जाएंगे और वहां से वापसी में आते हुए हम लाचुंग शाम को पहुचेंगे। हालाँकि होटल बुकिंग नहीं मिलने के कारण हमे अपनी यात्रा की योजना बदलनी पड़ गई और हम लाचेन की बजाए लाचुंग की ओर निकल पड़े।

मेरा रास्ता मेरी मंजिल…

 

जैसा कि वे कहते हैं ना, जाना था जापान पहुंच गए चीन समझ गए ना … बस अपना भी वो ही हाल था। भाई, वैसे एक बात बता देता हु , सच में चीन यहां से नजदीक में ही था 😃 ,तो कुछ हद तक आपन सही बोल रिया था बिडू😀।

गणपतिजी का नाम लेकर हम अपनी कार से गंगटोक से लाचुंग के लिए निकल पड़े। आगे की सीट पर मैं अपने गिंबल पर फोन लगा के विडियो लेने को तैयार, पीछे एक खिड़की पर मेरी बेटी और एक पर मेरी पत्नी, अपनी अपनी आंखे नजारों को निहारने के लिए गड़ाए बैठ गए, मानो जैसे आज सारा का सारा सिक्किम अपनी आंखों में समेटकर वापस मुंबई ले जायेंगे ,😂😂

सिक्किम अपनी आंखों में समेटकर वापस मुंबई ले जायेंगे

 

गंगटोक से निकलते ही कुछ समय बाद , सबसे पहले हमें एक सुंदर जलप्रपात दिखाई दिया, जिसे बकथांग जलप्रपात के नाम से जाना जाता है। चूंकि यह हमारी यात्रा की शुरुआत थी, हम बहुत उत्साहित थे और कार को रोकने के लिए लगभग अपने ड्राइवर पर झपट पड़े ताकि हम तस्वीर क्लिक कर सकें। बेचारा विरोध करता रह गया कि यह प्वाइंट शेड्यूल में नहीं आता।

बकथांग जलप्रपात

 

इस झरने को स्थानीय दर्शनीय स्थलों की यात्रा के दौरान कवर किया जाता है, इससे पहले कि वह अपना मुंह खोल पाता, हम तीनों कार से बाहर थे और दूसरे ही पल झरने के पास ,शारुख खान की शैली में पोज मारते हुए फोटो खिंचवाने लगे। कुछ झटपट तस्वीरें और हम अपनी कार में एक पल में वापस आ गए। आने के बाद मुस्कुराते हुए ड्राइवर को सॉरी बोल दिया क्यों की यात्रा की शुरुआत में ही ड्राइवर को परेशान नहीं करना चाहता था क्योंकि हम जानते थे कि उसे वैसे ही आगे चलकर उसे बहुत परेशानी झेलनी पड़ेगी, आखिर में एक पोजर और एक फोटोग्राफर के साथ जो सफर कर रहा है।😃

कुछ देर की ड्राइव के बाद हम बटरफ्लाई वाटरफॉल आ गए,

बटरफ्लाई वाटरफॉल

 

जहां न तो कोई तितलियां तैर रही हैं और न ही तितली जैसी दिखती हैं (अरे मेरा मतलब वाटरफॉल से था, भाई कुछ और न समाज लेना वरना पत्नीजी से मेरी खूब पिटाई हो जायेगी।) अब बटरफ्लाई न सही तो नही सही, की फरक पैंदा है, याद करो शेक्सपीयर ने क्या कहा था “गुलाब किसी भी नाम से पुकारो , उसकी महक मीठी ही होगी।

बस इसी बात को मध्य नजर रखते हुए हम वाटरफॉल को एंजॉय करने लगे।

हम वाटरफॉल को एंजॉय करने लगे।

 

अब इस जलप्रपात के बारे में कुछ बता देता हु । यह जलप्रपात गंगटोक से करीब 21.4 किलोमीटर दूर है। इसको देखने के लिए एक वॉचटावर भी बनाया है जहा से आप बहते पानी को ऊंचाई से अच्छे से देख सकते है।

वास्तव में लाचुंग की इस लंबी यात्रा के लिए ये छोटे छोटे ब्रेक अच्छे हैं। क्यों की घुमावदार और ऊबड़खाबड़ सड़कों पर सफर करने के बाद यह ब्रेक के कारण कुछ पल के लिए राहत मिल जाती है । हम को तो वैसे ही फोटो लेने का बहना चाहिए होता, तो बस आपन हैप्पी है जी और दबा के फोटो शूट करते रहते हैं, यह बोलते हुए की लगे रहो मुन्नाभाई !

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लाचुंग जाने की ड्राइव काफी मनभावन थी, सुंदर पहाड़ी के दृश्य, तीस्ता नदी लगभग हर जगह आपका पीछा करती थी। चारो ओर हरियाली और रास्ते पर लहराते हुए रंगीन पूजा के झंडे माहौल को दिव्य बना देते है।

ड्राइव करते समय रास्ते में एक बहुत सुंदर नजारा हमारे सामने आया तो हम ने ड्राइवर जी से अनुरोध किया की हमें यहां कुछ फोटो निकालने दे, तो उसने वहां गाड़ी रोक दी, हमने भी कुछ पहाड़ों की तस्वीरे ले ली, जब मैने देखा की ड्राइवर भाई साहेब कोल्ड ड्रिंक पीने लगे तो हम भी होटल की उपरी मंजिल पर चढ़ गए और कुछ और धमाल और ऊपर एक छोटी सी दुकान से पूजा का तोरण, एक पंखा खरीद लिया। मेरा मानना है की हमे स्थानीय लोगो से थोड़ी खरीददारी करनी चाइए, इससे स्थानीय पर्यटन को प्रोत्साहन मिलता है।

 

एक पंखा खरीद लिया।

 

कुछ समय रास्ते पर आगे चलते हुए हमे सड़क पर जाम लगा मिला। पूछने पर पता चला की सामने की तरफ से बहुत सारे सैन्य ट्रक आने के कारण सड़क ब्लॉक हो गईं। चूंकि यह एक तरह का सीमा क्षेत्र है, इसलिए यहां बहुत सारी सैन्य गतिविधियां देखी जा सकती हैं। जब सब मिलिट्री के ट्रक निकल गए तो हम भी आगे बढ़ने की हरी झंडी मिल गई।

जब सब मिलिट्री के ट्रक निकल गए तो हम भी आगे बढ़ने की हरी झंडी मिल गई।

 

आगे अपने रास्ते में हम एक ऐसे प्वाइंट पर रुके, जहां से हमें पहाड़, घाटी और नदी का अद्भुत दृश्य नजर आता था । इस बार मेरे ड्राइवर ने मुझे पहले ही चेतावनी दी, सर एक स्पॉट पर इथा टाइम लगेगा तो हम रात को लाचुंग कैसे पचेंगे …. खैर मैं इस डायलॉग के लिए तैयार था क्योंकि हम गरीबो के साथ ऐसा ही होता है, हम फोटो लेते रहते हैं और ड्राइवर धमकियां देते रहते हैं… दोनो अपना अपना कर्म किए जाते है और बस युही ही द्वंद्व जारी रहता है😂😂😂😂

 

 

पहाड़, घाटी और नदी का अद्भुत दृश्य

 

वैसे इस बार हम ने ज्यादा समय नहीं लिया। वापस आकर जब हम जैसे ही कार में बैठे तो मुझे
मेरे ड्राइवर ने बताया कि हमारा अगला पड़ाव नागा जलप्रपात है। अगर हम जलप्रपात की बात करे तो सिक्किम में लगभग हर मोड़ पर एक जलप्रपात मिल जाता है। मैने भी सोचा चलो होगा एक और ….😏

लेकिन जैसे ही हमारी गाड़ी नागा जलप्रपात के आगे रुकी, मेरी आंखे खुली की खुली रह गई और मुंह भी खुला का खुला😃 और मेरा विश्वास करो कि मैं अपनी कार से लगभग कूद गया और अपना कैमरा पकड़कर झरने की ओर ऐसा भागा जैसे मानो की सोने की खान मिल गई हो मुझे। नीचे दी गई तस्वीरें आपको समझाएंगी कि मैं इतना उत्साहित क्यों था।

 

 

नागा जलप्रपात

 

 

 

हमने यहां खूब मस्ती की, बहुत तस्वीरें क्लिक की और वहां की लगभग हर चट्टान पर चढ़ चढ़ कर काफी समय बिताया🌹😅 सचमुच कोई कसर नहीं छोड़ी।

 

 

हर चट्टान पर चढ़ चढ़ कर फोटो खिंचवाने लगे

पानी की ताकत जबरदस्त थी और इसने वास्तव में इस विशाल झरने के जादू में इजाफा किया। बहुत अनिच्छा से हमने अपने गंतव्य लाचुंग जाने के लिए झरना छोड़ दिया। न जाने क्यों लग रहा था ,मानो नागा वाटरफॉल हम से कह रहा हो तुसी न जाओ जी🥰

लाचुंग जाने के रास्ते में हम चुंगथांग में रुक गए, जहां हमारे कागजात सत्यापित किए गए थे। चुंगथांग की बात करें तो यह उत्तरी सिक्किम का एक छोटा सा शहर है, जो लाचेन और लाचुंग नदियों के संगम पर स्थित है, जहां पे तीस्ता नदी बनती हैं, जिसे सिक्किम की सबसे महत्वपूर्ण नदी माना जाता है।

चुंगथांग

चुंगथांग को स्थानीय लोगों और बौद्धों द्वारा एक पवित्र स्थल माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां गुरु पद्मसंभव स्वयं घूमते थे और एक चट्टान पर बैठते थे। किंवदंती के अनुसार इस चट्टान में पद्मसंभव की एक दरार और पैरों के निशान हैं।
यहां से बांध का दृश्य बहुत ही अद्भुत है। चूंकि हम लाचुंग के रास्ते में थे, इसलिए हम चुंगथांग शहर के अंदर नहीं जा सके। इसीलिए मैंने इस जगह को अपनी अगली यात्रा की बकेट लिस्ट में शामिल कर लिया था।

चुंगथांग शहर

 

जब तक हम लाचुंग पहुंचे तब तक अंधेरा हो गया था जब की अभी केवल ६ बजे थे, हम होटल में अपने कमरे में चले गए । करीब ७ बजे होटल वाले ने हमारा रात का भोजन तयार किया, हम जल्द ही अपना भोजन कर के सोने चले गए क्योंकि हमें कल युंथांग घाटी के लिए सुबह जल्दी निकलना था।

हमारे ब्लॉग के अगले भाग के लिए बने रहें।

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Hi, I am Aashish Chawla- The Weekend Wanderer. Weekend Wandering is my passion, I love to connect to new places and meeting new people and through my blogs, I will introduce you to some of the lesser-explored places, which may be very near you yet undiscovered...come let's wander into the wilderness of nature. Other than traveling I love writing poems.

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Aashish Chawla
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